काश! गोरखपुर ग्रामीण से चुनाव लड़ते योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ज़ब सांसद थे उसी समय से विजय बहादुर यादव से चला आ रहा मतभेद.
गोरखपुर ग्रामीण से चुनाव लड़ते योगी तो फायदे मे रहती बीजेपी.
खबर तह तक की रिपोर्ट
गोरखपुर 17 जनवरी
भारतीय जनता पार्टी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर से विधानसभा चुनाव लड़ाने का निर्णय ले लिया है. इस सीट पर उनकी जीत भी सुनिश्चित मानी जा रही है. क्योंकि शहर विधानसभा की यह सीट गत कई चुनावों से भाजपा की परम्परागत सीट बन चुकी है. इस सीट से शिव प्रताप शुक्ल से लेकर डा.राधा मोहन दास अग्रवाल तक भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज करते आ रहे हैं.
शहर सीट के वर्तमान विधायक डा. राधा मोहन अग्रवाल योगी आदित्यनाथ के आशीर्वाद से हिन्दू महासभा के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी रहे शिव प्रताप शुक्ल को पराजित कर पहली बार विधायक बने थे. इस चुनाव मे भाजपा ने ज़ब योगी को शहर सीट से प्रत्याशी घोषित कर चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है तो डा. राधा मोहन दास अग्रवाल को को पवेलियन की राह पकड़ना पड़ेगा.
अब हम बात कर रहे है गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की, जहाँ से 2012 मे इस क्षेत्र से पहली बार विजय बहादुर यादव विधायक चुने गए. विधायक तो वह पहली बार मानीराम क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुने गए थे लेकिन गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र का गठन होने के बाद हुए चुनाव मे विजय बहादुर यादव ने पुनः भाजपा के टिकट पर जीत हासिल किया था.
योगी के आशिर्वाद से ही विजय बहादुर यादव को मानीराम से मिला था भाजपा का टिकट
2007 मे हुए चुनाव मे मानीराम क्षेत्र से भाजपा का टिकट विजय बहादुर यादव को मिला था.योगी आदित्यनाथ के आशीर्वाद से ही विजय बहादुर यादव को भाजपा का टिकट हासिल हुआ था.दो साल तक सब कुछ ठीक चल रहा था. इसके बाद विजय बहादुर यादव और योगी के बीच तल्ख़ बढ़ती गयी. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कार्यकर्ताओं की अहमियत का था.योगी के समर्थकों को विजय बहादुर यादव अहमियत नहीं दे रहे थे. इससे उन समर्थकों मे काफ़ी नाराजगी थी.
भाजपा समर्थकों का कहना था कि योगी के आशिर्वाद से विजय बहादुर यादव विधायक बन गए और योगी,भाजपा समर्थकों को अहमियत रत्ती भर नहीं देते हैं. विधायक के इस रवैये की जानकारी योगी समर्थक योगी तक निरंतर पहुंचा रहे थे. दिन प्रति दिन नाराजगी बढ़ती जा रही थी. 2012 मे ज़ब प्रदेश मे सपा सरकार आ गयी. विजय बहादुर यादव विधायक तो भाजपा के थे लेकिन सपा से उनकी नजदीकियां और योगी से दूरियाँ बढ़ती जा रही थीं.
2014 के लोकसभा चुनाव मे योगी और विजय बहादुर यादव के बीच तल्खी और बढ़ गयी ज़ब चुनाव के दौरान विजय बहादुर द्वारा योगी का असहयोग किये जाने की सूचनाएं योगी तक पहुँचने लगीं. बताया जाता है कि इसके बाद योगी ने विजय बहादुर को बुलाकर डांट फटकार भी लगाया था.
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव मे मतभेद खुलकर सामने आ गया था
2016 मे हुए गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव मे योगी और विजय बहादुर यादव के बीच मतभेद और टकराव खुल कर सामने आ गया.
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव मे विजय बहादुर यादव के भाई अजय बहादुर यादव मैदान मे थे उनकी जीत के कयास भी लगाए जा रहे थे. क्योंकि जिला पंचायत के चुनाव मे धन बल की काफ़ी भूमिका होती है और अजय बहादुर यादव इस मामले मे काफ़ी मजबूत माने जा रहे थे. इसी बीच तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव द्वारा विजय बहादुर यादव को सपा प्रत्याशी गीतांजलि यादव को जिताने मे सहयोग करने के लिए कहा गया. सीएम के कहने के बाद विजय बहादुर यादव के सामने धर्म संकट आ गया. एक तरफ सगा भाई दूसरी तरफ सूबे के मुखिया का फरमान विजय बहादुर यादव को कसमकश मे डाल दिया था. विजय बहादुर ने अपने भाई अजय बहादुर की मदद करना शुरू कर दिया.विजय बहादुर के रुख को नाफरमानी मानते हुए सीएम अखिलेश यादव नाराज भी हुए थे.
सपा सरकार के रुख को देखते हुए योगी को लगा कि विजय बहादुर यादव को ठीक करने का उचित समय आ गया है. उन्होंने अपने समर्थक जिला पंचायत सदस्यों को सपा प्रत्याशी के पक्ष मे जाने का संकेत कर दिया.
कहते हैं ना सरकार अपने पर आती है तो बड़े बड़ों की हेकड़ी उड़न छू हो जाती है. जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लाक प्रमुख चुनाव मे क्या होता है यह जग जाहिर है. गोरखपुर मे भी वहीं हुआ. रातोरात गोरखपुर के डीएम बदल दिए गए. प्रत्याशी तो सपा का जीता लेकिन इस चुनाव मे योगी के श्रेय को देखते हुए उनकी भी जीत मानी गयी. इसका असर पूरे पांच साल देखने को मिला. 2017 मे योगी सरकार आने के बाद तमाम जिलों के जिला पंचायत अध्यक्ष पैदल कर दिए गए लेकिन सपा से चुनी गयी गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष गीतांजलि यादव कुर्सी योगी सरकार के दौरान पूरे पाँच साल सलामत रही.
आज भी योगी का विरोध करते हैं विजय बहादुर
2017 मे विजय बहादुर यादव सपा के टिकट पर गोरखपुर ग्रामीण से चुनाव लड़े और हार गए. लेकिन योगी का विरोध करना उन्होंने आज तक नहीं छोड़ा है. वह खुले मंच से योगी का विरोध करते आ रहे हैं. योगी आदित्यनाथ इस समय सूबे के मुखिया हैं और गोरखपुर सदर संसदीय क्षेत्र से कई बार सांसद भी रह चुके हैं.सदर क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों मे से किसी से भी वह चुनाव लड़कर निसंदेह जीत सकते हैं. गोरखपुर ग्रामीण से यदि योगी चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें विजय बहादुर यादव को एक बार फिर पटखनी देने का मौका मिल सकता है.
अब मौका भी है और राजनीतिक दस्तूर भी है. कोई अपना दांव न चले और पाँव न बढ़ाये तो इसमें कोई क्या कर सकता है. ग्रामीण क्षेत्र से योगी के लड़ने से भाजपा को भी फायदा होगा. परंपरागत बन चुकी शहर की सीट तो उसे मिलेगी ही, ग्रामीण क्षेत्र की सीट भी निश्चित रूप से उसकी झोली मे जा सकती है.
- एक रिपोर्ट
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