सपा मे टिकट के लिए किसका पलड़ा भारी? दो लोग हैं दावेदार
320, कैपियरगंज -गोरखपुर
फ़िल्म अभिनेत्री काजल निषाद और साधू यादव हैं मजबूत दावेदार
खबर तह तक की ग्राउंड रिपोर्ट
गोरखपुर 7 जनवरी
विधानसभा चुनाव का विगुल बजने मे अब कुछ ही दिन शेष रह गया है. किसी भी दल ने अपने उम्मीदवार अभी तय नहीं किये हैं. टिकट के दावेदार पार्टी के शीर्ष तक अपनी पहुँच मजबूत करने के साथ ही क्षेत्र मे अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एड़ी चोटी एक किये हुए हैं.
कैपियरगंज विधानसभा के
गठन के बाद 2012 मे हुए विधानसभा चुनाव मे राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी ) के टिकट पर चुनाव लड़े फ़तेह बहादुर सिंह ने सपा से प्रत्याशी रही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चिंता यादव को पराजित किया था. इसके बाद 2017 के चुनाव मे फतेह बहादुर सिंह ने पार्टी बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया.
सपा -कांग्रेस गठबंधन के चलते कैपियरगंज की सीट कांग्रेस के खाते मे चले जाने पर चिंता यादव ही कांग्रेस की प्रत्याशी होकर फ़तेह बहादुर सिंह से पुनः मुकाबिल हो गयीं. इस चुनाव मे भी चिंता यादव को हार का मुँह देखना पड़ा.
दो बाद हार खाने के बाद सपा द्वारा इस बार नया फार्मूला अपनाने का संकेत दिखाई देने लगा है. क्योंकि शीर्ष तक पहुँच के ताकत पर ही अभिनेत्री काजल निषाद सपा के टिकट की दावेदारी ठोक रही हैं. इस बार चुनाव मे टिकट के लिए चिंता यादव के पति एवं सपा के वरिष्ठ नेता साधू यादव ने दावेदारी किया है. वैसे तो इस क्षेत्र से सात लोगों ने पार्टी टिकट के दावेदारी किया है लेकिन मुख्य रूप से अभिनेत्री काजल निषाद और साधू यादव के बीच ही टिकट के लिए संघर्ष जारी है.दोनों दावेदार पार्टी कार्यालय लखनऊ और क्षेत्र मे लगातार पसीना बहा रहे हैं.
हलांकि अपनी दावेदारी मजबूत और टिकट पक्का मानकर क्षेत्र के हर बूथ पर साधू यादव ने इस बार कड़ी मेहनत कर समाजवादी पार्टी को मजबूती प्रदान की है. एक तरफ साधू यादव विधानसभा क्षेत्र मे समाज के सभी वर्ग के लोगों से मिल रहे हैं और अपने समर्थन की अपील भी कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ फ़िल्म अभिनेत्री काजल निषाद का पूरा फोकस फिलहाल अभी केवल निषाद समाज पर ही केंद्रित हैं. इसके साथ ही काजल निषाद कैम्पियरगंज के भूगोल से भी परिचित नहीं है. हलांकि आजकल के दौर मे जनता के लिए यह कोई मायने नहीं रह गया है.सांसद रवि किशन इसके उदाहरण हैं. इन दोनों की दावेदारी जनता में चर्चा का विषय बनी हुई है.
सपा से कोई भी मैदान मे आएगा जैसा कि क्षेत्र मे जो माहौल दिखाई दे रहा है उससे यह तय माना जा रहा है कि पिछले चुनावों की तरह 2022 के चुनाव मे भी भाजपा और सपा ही मुख्य मुकाबले मे रहेंगे. समाजवादी पार्टी इस बार जिस तरह से हर विधानसभा सीटों पर आंतरिक सर्वे और दावेदारों की जमीनी ताकत तथा जातिगत समीकरण के नफा नुकसान का भरपूर हिसाब किताब कर रही है इससे यह तय माना जा रहा है कि सपा इस बार कैपियरगंज क्षेत्र को अपने कब्जे मे करने के लिये कोई भी राजनीतिक हथियार का प्रयोग कर सकती है.
कैपियरगंज क्षेत्र के वर्तमान विधायक फ़तेह बहादुर सिंह द्वारा सपा मुखिया को इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चुनौती देने के बयान के बाद सपा के लिए यह क्षेत्र प्रतिष्ठा का प्रश्न बन सकता है. फ़तेह बहादुर सिंह को पराजित करने के लिए सपा कुछ भी नया कर सकती है. कुछ भी.
इसमें जातिगत समीकरण दुरुस्त कर जीत सुनिश्चित करने वाला मजबूत प्रत्याशी उतारना भी शामिल है.अभिनेत्री काजल निषाद का इस क्षेत्र मे हुयी धमक इसकी एक कड़ी है. इंतजार कीजिये, इस क्षेत्र मे इस बार चुनाव की रंगत मे कई और रंग दिखेंगे.
फिलहाल,अभी सभी लोग चुनावी बिगुल बजने और मकर संक्रांति के बीतने का इंतजार कर रहे हैं.
Unicqe news bhy thanks
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