कैंपियरगंज क्षेत्र मे निषादों पर टिकी है सबकी नजर

320कैपियरगंज
सपा, बसपा एवं कांग्रेस ने उतारा है निषाद प्रत्याशी.
काफ़ी कद्दावर माने जाते हैं भाजपा प्रत्याशी,स्थानीय विधायक एवं पूर्व मंत्री फतेह बहादुर सिंह 
गोरखपुर 11फरवरी
परिसिमन के बाद दूसरी बार होने जा रहे विधानसभा चुनाव मे कैम्पपियरगंज क्षेत्र मे इस बार क्या निषाद बिरादरी चुनाव परिणाम तय करेगी? इस बात की चर्चा क्षेत्र मे काफी जोरों पर जारी है. निषाद बिरादरी पर लोगों की निगाहें इसलिए बनी हैं क्योंकि स्थानीय विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी फतेह बहादुर सिंह के सामने सपा, बसपा और कांग्रेस ने निषाद बिरादरी का प्रत्याशी मैदान मे उतारा है.


आप यह सोच रहे होंगे कि ज़ब तीन प्रमुख दलों ने निषाद बिरादरी का प्रत्याशी दिया है तो निषादों का मत विभाजन होना निश्चित है. हाँ, यह आपको सरसरी निगाहों और ऊपर- ऊपर से देखने पर सही भी प्रतीत हो सकता है. लेकिन, ज़ब आप निषाद बिरादरी के बीच चल रही चर्चाओं पर कान देंगे तो कुछ और ही आहट सुनाई दे रही है.वैसे देखा जाता है कि निषाद भाजपा का समर्थक माना जाता है लेकिन बिरादरी का प्रत्याशी मिलने पर यह मिथक टूटते देर भी नहीं लगती. पिछले कई चुनावों के समीकरणों पर ध्यान दिया जाये तो यह बात शत प्रतिशत सच साबित हो जाएगी.
   कैम्पियरगंज क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी फतेह बहादुर सिंह मैदान मे हैं, वहीं सपा से काजल निषाद, बसपा से चंद्र प्रकाश निषाद  और कांग्रेस से सुरेंद्र निषाद प्रत्याशी हैं. बसपा से चंद्र प्रकाश निषाद और कांग्रेस से सुरेंद्र निषाद को टिकट मिलने पर क्षेत्र मे यह संदेश गया कि इस बार निषाद मतदाताओं मे बिखराव होना तय है. चर्चा तो यह भी तैरने लगी कि सपा से निषाद प्रत्याशी होने के कारण हाई प्रोफ़ाइल गेम किया गया और निषाद बिरादरी का मत बिखराने के लिए दो प्रमुख दलों से इसी बिरादरी से जुड़े प्रत्याशी उतारे गए हैं. इस चर्चा मे कितना बल है यह तो एक दो सप्ताह मे पता चलेगा ही, लेकिन क्षेत्र मे तीन दलों से निषाद बिरादरी से ही प्रत्याशी मैदान मे उतार दिए जाने के बाद भी लोगों की निगाहें निषाद बिरादरी की तरफ लगी हैं यह कम आश्चर्यजनक नहीं है.
   इस चर्चा के पीछे के कारणों पर ध्यान दिया जाये तो सपा,भाजपा बसपा का मूल वोट बैंक अपनी जगह स्थिर रह सकता है. हलांकि यह निर्णायक नहीं माना जा सकता है.
 "मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती कर ली" वर्तमान राजनीतिक दौर मे यह तो आम बात हो गयी है लेकिन, यदि मन पसंद फूल (अपनी बिरादरी ) मिल गयी तो काँटों के चक्कर मे भला कोई क्यों पड़ेगा.और अगर सामने तीन -तीन फूल दिखने लगे तो ,अच्छा और सुगंधित फूल को ही कोई चुनना पसंद करेगा.
   कैम्पियरगंज क्षेत्र मे निषादों की ख़ामोशी और मुखरता ही चुनाव परिणाम तय करेगी. कैम्पियरगंज क्षेत्र से लगातार दो बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री फतेह बहादुर सिंह काफी कद्दावर नेता हैं उनकी क्षेत्र मे गहरी पैठ है इस बात से कत्तई इंकार नहीं किया जा सकता है.निषाद बिरादरी यदि पूरे चुनाव मे खामोश रहती है तो मान लिया जाएगा कि वह किसी एक पक्ष मे अपना झुकाव नहीं कर रही है. और यदि मुखर हो गयी तो परिणाम की इबारत पटल पर नजर आ सकती है.
   

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