कैंपियरगंज मे सीधे मुकाबिल होगी भाजपा और सपा

320, कैंपियरगंज से ग्राउंड रिपोर्ट.
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भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना बढ़ी.

दोनों दलों के नेता, कार्यकर्ता अपने -अपने बूथ जी
तने -जिताने की कसरत मे जुटे हैं.
गोरखपुर 19 फ़रवरी 
विधानसभा चुनाव की तारीख आने मे अभी दस दिन शेष है लेकिन कैम्पियरगंज विधानसभा क्षेत्र मे जारी घमासान भाजपा और सपा से आगे नहीं बढ़ सका है. हलांकि भाजपा को छोड़कर अन्य दलों के समर्थक मतदाता खामोशी की चादर ओढ़कर मतदान तिथि का इंतजार कर रहे हैं.

इस क्षेत्र मे वैसे चार प्रमुख दलों को लेकर एक दर्जन से अधिक प्रत्याशी मैदान मे हैं. स्थानीय विधायक फतेहबहादुर सिंह भाजपा तो काजल निषाद सपा और चंद्र प्रकाश निषाद बसपा तथा सुरेंद्र निषाद कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ की यात्रा करने की हसरत पूरा करने के लिए जनता का समर्थन मांग रहे हैं. इस क्षेत्र के चुनाव मे पहली बार ऐसा हुआ है जिसमे चार प्रमुख दलों मे से तीन ने निषाद बिरादरी से अपना उम्मीदवार बनाया है.
   क्षेत्र के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा से निषाद बिरादरी का प्रत्याशी मैदान मे आने के बाद बसपा और कांग्रेस ने इसी बिरादरी से जुड़े नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाकर सपा को कमजोर करने का   अपना नजरिया जगजाहिर कर दिया. जहाँ तक क्षेत्र मे इसके असर का सवाल है जिस उद्देश्य से बसपा, कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी मैदान मे उतारा है वह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है. क्योंकि निषाद मतदाता सिर्फ भाजपा और सपा के बीच ही लामबंद होता जा रहा है.
    भाजपा और सपा के बीच सीधी हो चली लड़ाई के बीच दोनों दलों के नेता और कार्यकर्ता अपने -अपने बूथों को मजबूत करने की कवायद मे एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं.भाजपा और सपा के मूल समर्थक मतदाता अपनी जगह स्थिर देखे जा रहे हैं. दोनों दल उन वोटर्स को अपने पाले मे लाने की जुगत मे पसीना बहा रहे हैं जिन पर विकास,बेरोजगारी, महंगाई और जाति के मुद्दे पर इधर -उधर खिसकने का खतरा है. बसपा और कांग्रेस की तरफ से कमजोर प्रत्याशी होने से कैम्पियरगंज क्षेत्र का चुनाव भाजपा -सपा मतलब फतेह बहादुर सिंह और काजल निषाद के बीच सिमटने के आसार बढ़ते जा रहे हैं.
    विशेष बात यह देखी जा रही है कि भाजपा और सपा दोनों दल निषाद और दलित मत अपने कब्जे मे करने के प्रयासरत हैं. पिछले दो चुनावों मे बसपा ने मजबूत कंडीडेट मैदान मे उतारा था और पार्टी को काफ़ी वोट हासिल हुए थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिखाई दे रहा है. हाथी के कमजोर महावत को देखते हुए दलित मतदाता भी नाक भौ सिकोड़ रहे हैं. बताया जा रहा है कि टिकट बटवारा को लेकर स्थानीय कैडर भी नाराज है. पिछले चुनावों के समीकरण पर गौर किया जाये तो इस क्षेत्र मे निषाद बिरादरी के मतदाता भाजपा और बसपा के बीच अपना समर्थन बाँटते रहे हैं. यहां बता दें कि बसपा निषाद बिरादरी से अपना प्रत्याशी बनाती रही है और सपा ने पहली बार निषाद बिरादरी से प्रत्याशी बनाया है. दूसरी बात कैम्पियरगंज मे मुख्य मुकाबला फतेह बहादुर सिंह से ही होता रहा है. और मुकाबले मे सपा ही रही है.
    फिलहाल, भाजपा और सपा के बीच सीधी हो चली लड़ाई का ऊंट किस करवट बदलेगा. इसके लिए आपको दस दिन इंतजार करना पड़ेगा और यदि मतदाताओं ने ख़ामोशी नहीं तोड़ी तो आपका इंतजार दस मार्च तक बढ़ सकता है.

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